लैलूंगा थाना में महिला कांस्टेबल का भ्रष्टाचार चरम पर: चरित्र प्रमाण पत्र से लेकर जुए तक, हर जगह ‘दबंगई’ और रिश्वतखोरी का खेल…


लैलूंगा। क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की रक्षा और जनता की सुरक्षा का जिम्मा उठाने वाली पुलिस अगर खुद लूट-खसोट में उतर आए, तो आम लोगों का विश्वास कैसे कायम रहेगा? ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला लैलूंगा थाना से जुड़ा सामने आया है, जहां महिला कांस्टेबल ज्योति यादव (बेज क्रमांक 556) पर रिश्वतखोरी और दबंगई के गंभीर आरोप लगे हैं।
ताज़ा मामला गुडुबहाल गांव का है, जहां एक ग्रामीण ने चरित्र प्रमाण पत्र बनवाने के लिए थाना में आवेदन किया था। ग्रामीण का आरोप है कि महिला कांस्टेबल ज्योति यादव ने इस प्रमाण पत्र के बदले खुलेआम 300 रुपये नगद वसूले। यही नहीं, इस पूरे वाकये का वीडियो भी सामने आ चुका है, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो के वायरल होते ही ग्रामीणों में गुस्सा फूट पड़ा है और लोग खुलेआम सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कानून का पहरेदार ही अगर कानून तोड़े तो न्याय की उम्मीद किससे की जाए?
यह पहला मामला नहीं है। ग्रामीणों के अनुसार, कांस्टेबल ज्योति यादव का रिश्वतखोरी और गैरकानूनी धंधों से ताल्लुक कोई नया नहीं है। विगत दिनों रथ मेला के दौरान खुडखुडिया जुए का खेल जमकर परोसा गया था। आरोप है कि इस पूरे जुए के आयोजन में महिला कांस्टेबल की सीधी सेटिंग थी। खेलवाने वालों से मोटी रकम वसूली गई और फिर पूरे गांव में खुलेआम जुए का कारोबार चलने दिया गया। इस पूरे घटनाक्रम का ऑडियो भी मौजूद है, जिसमें उनकी भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि थाना में चरित्र प्रमाण पत्र से लेकर अन्य सामान्य कार्यों तक, हर छोटे-बड़े काम के लिए रुपये की मांग की जाती है। “रिश्वत दो, काम लो” – यही यहां का अनकहा नियम बन चुका है। महिला कांस्टेबल की दबंगई इतनी बढ़ चुकी है कि लोग मजबूरी में चुप रह जाते हैं। कोई विरोध करे तो उसे धमकाने से भी नहीं चूकती।
लैलूंगा क्षेत्र के लोग अब खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर प्रशासन और पुलिस विभाग ने समय रहते ऐसे भ्रष्टाचारियों पर सख्त कार्यवाही नहीं की, तो जनता का भरोसा पूरी तरह से उठ जाएगा। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और ऑडियो इस बात के ठोस सबूत हैं कि थाना परिसर में भ्रष्टाचार किस हद तक फैल चुका है।
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि महिला कांस्टेबल की इन हरकतों की जानकारी उच्च अधिकारियों को पहले भी दी जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे साफ जाहिर है कि या तो शिकायतें दबा दी जाती हैं या फिर पूरे मामले को नजरअंदाज कर दिया जाता है। यही कारण है कि दबंग कांस्टेबल का हौसला और भी बढ़ गया है।
अब सवाल यह है कि लैलूंगा थाना और पुलिस विभाग ऐसे मामलों पर कब तक आंख मूंदे बैठे रहेंगे? क्या रिश्वत और जुए की सेटिंग में लिप्त कांस्टेबल के खिलाफ विभागीय जांच होगी या फिर यह मामला भी समय के साथ ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
ग्रामीणों की मांग है कि वीडियो और ऑडियो सबूतों के आधार पर तत्काल निलंबन और सख्त कार्यवाही की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी पुलिसकर्मी वर्दी की आड़ में कानून को बेचने की हिम्मत न कर सके। अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगी तो लैलूंगा क्षेत्र में पुलिस की साख पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी और लोग न्याय के लिए भटकने पर मजबूर रहेंगे।
लैलूंगा की जनता अब प्रशासन की ओर टकटकी लगाए बैठी है—क्या दोषी कांस्टेबल पर गाज गिरेगी या फिर रिश्वतखोरी और जुए का खेल यूं ही जारी रहेगा?






