लैलूंगा के केशला मंडी में धान खरीदी का महाआरंभ — पूजा-पाठ के साथ गूंजा किसानों का उत्साह, दिग्गजों की भव्य मौजूदगी….
लैलूंगा, 17/11/2025 — आदिमजाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित केशला (मंडी) में आज धान खरीदी का शुभारंभ धूमधाम से किया गया। पारंपरिक पूजा-पाठ के साथ कृषि सीजन की आधिकारिक शुरुआत हुई, जिसमें किसान भाइयों का जोश और अधिकारियों की उपस्थिति ने पूरे मंडी परिसर को उल्लास से भर दिया। सुबह से ही किसानों की भीड़, ट्रैक्टरों की लाइन और धान से भरी बोरीयों की आवाज़ से मंडी क्षेत्र एक बार फिर जीवंत दिखा।
पूजा पाठ के पश्चात मंडी प्रबंधक श्री गोकुलानंद पंडा ने धान उपार्जन कार्य का शुभारंभ किया। मंडी अध्यक्ष दुलार सिंह सिदार ने किसानों को आश्वस्त किया कि इस वर्ष खरीदी प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, सुचारू और बिना किसी व्यवधान के होगी। भाजपा मंडल लैलूंगा के महामंत्री नरेश निषाद की उपस्थिति ने कार्यक्रम को राजनीतिक रूप से भी चर्चित बना दिया।
इसके साथ ही जनपद सदस्य श्रीमती सौभागी गुप्ता, ग्राम पंचायत भेड़ीमुड़ा ‘ब’ के सरपंच सुरेन्द्र सिदार, ग्राम पंचायत सुबरा से सरपंच प्रतिनिधि गुलाब सिदार, निगरानी समिति के सक्रिय सदस्य चिंताराम पटेल, नरेश निषाद, रमेश पंडा, विशंभर मिश्रा, पूर्व मंडी अध्यक्ष शिवनारायण सिदार, केशबोराम पैंकरा, श्याम भगत, सत्यनारायण शर्मा और प्रमोद गुप्ता जैसे प्रमुख चेहरे समारोह में शामिल रहे।
पूरी मंडी क्षेत्र के किसान बंधुओं की भारी मौजूदगी ने इस शुभारंभ कार्यक्रम को असाधारण बना दिया। किसानों में खास उत्साह देखने को मिला क्योंकि इस वर्ष समय पर खरीदी शुरू होने से उन्हें राहत व उम्मीद दोनों मिली है। कई किसानों ने बताया कि मौसम की मार और अनिश्चित परिस्थितियों के बाद सरकारी खरीदी की यह शुरुआत उनके लिए किसी त्यौहार से कम नहीं है।
पूजा के दौरान सभी ने क्षेत्र की खुशहाली, बेहतर उत्पादन और सुचारू खरीदी सीजन की कामना की। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि धान तौल, भुगतान, परिवहन और स्टॉक प्रबंधन पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो।
मंडी परिसर में सुरक्षा, सुविधा और किसानों के बैठने-खाने की व्यवस्था भी विशेष रूप से की गई है। किसान हित में उठाए गए इन कदमों ने खरीदी को और भी सहज बनाया है।
आज का यह शुभारंभ न सिर्फ खरीदी सीजन की शुरुआत है, बल्कि किसान सम्मान का प्रतीक भी है। लैलूंगा के केशला मंडी में आज का दिन किसान इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया—क्योंकि जब किसान खुश होते हैं, तभी अन्न भंडार भरते हैं और क्षेत्र तरक्की की राह पकड़ता है।






