लैलूंगा में पिकअप वाहन बना मौत का सफर – थाना के सामने से गुजरता खतरनाक खेल, प्रशासन मौन…


लैलूंगा। क्षेत्र में परिवहन नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और यह सब कुछ पुलिस थाना के सामने से होते हुए गुजर रहा है। पिकअप वाहन, जो सामान ढोने के लिए बनाए गए हैं, अब यहां लोगों को ठूस-ठूसकर भरकर ढोने का खतरनाक जरिया बन गए हैं। हैरानी की बात यह है कि यह अवैध और जानलेवा आवागमन खुलेआम हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार विभाग और पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बने हुए हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, रोजाना दर्जनों पिकअप वाहन में 15-20 से अधिक लोगों को ठूसकर लाया-ले जाया जाता है। इन वाहनों में न तो बैठने की कोई सुरक्षित व्यवस्था होती है और न ही यात्रियों की सुरक्षा का कोई इंतजाम। बिना रजिस्ट्रेशन और बिना परमिट यात्रियों को ढोना मोटर व्हीकल एक्ट के तहत गंभीर अपराध है, लेकिन लैलूंगा में यह कानून की खुली अवहेलना है।
खम्हार हादसे से नहीं ली सबक
महज दो दिन पहले ही लैलूंगा-खम्हार मार्ग पर एक पिकअप वाहन में 18 से 20 लोग भरे हुए थे। अचानक वाहन का नियंत्रण बिगड़ गया और खम्हार में दर्दनाक हादसा हो गया। इस हादसे में एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। घटना ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन और पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
थाना के सामने से निकलता है खतरा
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसे कई पिकअप वाहन लैलूंगा थाना के सामने से रोज गुजरते हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब ये वाहन पुलिस की आंखों के सामने से गुजर रहे हैं तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही? क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?
ग्रामीणों का आक्रोश
ग्रामीणों ने कहा कि यह लापरवाही सीधे-सीधे लोगों की जान से खिलवाड़ है। उन्होंने मांग की कि अवैध यात्री ढोने वाले पिकअप वाहनों पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।
प्रशासन की जिम्मेदारी
परिवहन विभाग और पुलिस को चाहिए कि ऐसे वाहनों की तुरंत जांच करे, चालान और वाहन जब्ती की कार्रवाई करे, ताकि दोबारा कोई पिकअप वाहन ‘मौत का सफर’ न बने। लेकिन अब तक की खामोशी से यह साफ है कि प्रशासनिक तंत्र या तो लापरवाह है या इस अवैध कारोबार में कहीं न कहीं मिलीभगत है।
लैलूंगा में यह मुद्दा अब आमजन की सुरक्षा से जुड़ा बड़ा सवाल बन चुका है। अगर जल्द ही सख्त कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में और भी निर्दोष लोगों की जान जा सकती है, और तब प्रशासन के पास जवाब देने के लिए कोई शब्द नहीं होंगे।






