लैलूंगा की जनता की चेतावनी: 10 दिन में माँगे पूरी करो, वरना होगा उग्र आंदोलन और आर्थिक नाकेबंदी…



लैलूंगा,/लैलूंगा क्षेत्र की जनता अब प्रशासनिक ढिलाई और अनदेखी से तंग आ चुकी है। लंबे समय से लंबित पड़ी समस्याओं को लेकर नागरिकों ने एक स्वर में चेतावनी दी है कि यदि तत्काल समाधान की दिशा में कदम नहीं उठाए गए तो आगामी 10 दिनों के भीतर आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी। इसके साथ ही आंदोलन की पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और विशेषकर राजस्व विभाग पर होगी।
अटल चौक का गड्ढा बना मौत का जाल
क्षेत्रवासियों का कहना है कि लैलूंगा मुख्य मार्ग पर अटल चौक के पास महीनों से गड्ढा खोदा गया है, लेकिन आज तक उसे भरा नहीं गया। यह गड्ढा अब मौत का जाल बन चुका है। आए दिन मोटरसाइकिल, साइकिल और छोटे वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। लोगों का आरोप है कि पीडब्ल्यूडी विभाग और स्थानीय प्रशासन ने इस गंभीर समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। गड्ढा भरने के लिए कई बार शिकायतें और ज्ञापन दिए गए, लेकिन “कागजी कार्यवाही तक ही सीमित रह गया मामला।
चौबीस घंटे भारी वाहनों का आतंक
लैलूंगा नगर की सबसे बड़ी समस्या में से एक है मुख्य सड़क से चौबीसों घंटे गुजरने वाले बड़े-बड़े ट्रक और हाइवा। इन भारी वाहनों से न केवल दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं बल्कि धूल, धुआं और प्रदूषण ने आमजन का जीना दूभर कर दिया है। नागरिकों की मांग है कि इन वाहनों के संचालन के लिए निश्चित समय तय किया जाए ताकि दिन में आम लोगों को राहत मिल सके। साथ ही पत्थलगांव की ओर जाने वाले वाहनों के लिए एक और बाईपास सड़क का निर्माण तत्काल शुरू किया जाए। यह लंबे समय से उठाई जा रही मांग है, जिस पर अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गई।
रोजगार के लिए युवाओं का आक्रोश
लैलूंगा क्षेत्र के हजारों बेरोजगार युवा रोज़गार की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। यहां के लोगों का कहना है कि विधानसभा क्षेत्र के अंदर उद्योग और खदान मौजूद होने के बावजूद स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता नहीं दी जा रही। जनता ने मांग रखी है कि स्थानीय प्रशासन पहल कर लैलूंगा में रोजगार मेला आयोजित करे ताकि युवाओं को मौके पर ही अवसर मिल सकें। अगर उद्योग-खदान क्षेत्र की कंपनियां बाहरी लोगों को नौकरी देंगी और यहां के युवाओं को दरकिनार करेंगी, तो आक्रोशित नौजवान आंदोलन की राह पकड़ने पर मजबूर होंगे।
10 दिनों का अल्टीमेटम
नागरिकों और संगठनों ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि इन तीनों प्रमुख मांगों पर यदि 10 दिनों के भीतर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो जनता को मजबूरन उग्र आंदोलन करना पड़ेगा। आंदोलन की पहली कड़ी आर्थिक नाकेबंदी होगी। लोगों का कहना है कि अब चुप बैठना संभव नहीं है और यदि प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया तो लैलूंगा क्षेत्र से उभरने वाली ये लहर जिले और प्रदेश तक गूंजेगी।
जिम्मेदारी होगी प्रशासन की
ज्ञापन सौंपते हुए नागरिकों ने स्पष्ट किया है कि अगर आंदोलन होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व लैलूंगा और संबंधित विभागों की होगी। जनता ने कहा है कि अब समस्या पर “मीटिंग और वादे” नहीं, बल्कि सीधी कार्यवाही चाहिए।
साफ है कि लैलूंगा की जनता अब आर-पार के मूड में है।
गड्ढों से राहत, भारी वाहनों पर नियंत्रण और रोजगार की गारंटी—इन तीनों मुद्दों पर यदि प्रशासन ने तुरंत पहल नहीं की, तो आने वाले दिनों में लैलूंगा क्षेत्र बड़ा आंदोलन देखने के लिए तैयार रहेगा।






