कुंजारा में गणेशोत्सव का जलवा: अजेय योद्धा मनोज अग्रवाल बने आकर्षण का केंद्र, बांधा पारा गूंजा जयकारों और डांस से…

लैलूंगा। धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं का अनूठा संगम उस वक्त देखने को मिला जब लैलूंगा जनपद उपाध्यक्ष और क्षेत्र के अजेय योद्धा कहे जाने वाले मनोज अग्रवाल (सुखन) अपने बीडीसी क्षेत्र कुंजारा पहुंचे। अवसर था बांधा पारा में चल रहे गणेशोत्सव का, जहां रंगा-बिरंगा माहौल, झिलमिलाती रोशनी और भक्तों की उमंग ने पूरे गांव को उत्साह और उल्लास से भर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना के साथ हुई। मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे मनोज अग्रवाल ने विधि-विधान से गणपति बप्पा की आरती उतारी और दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उनके साथ कुंजारा के सरपंच, पंच, गणमान्य नागरिक और भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। इस मौके पर पूरा वातावरण “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारों से गूंज उठा।
बांधा पारा के युवाओं और महिला मंडली ने रंगारंग नृत्य प्रस्तुत कर समा बांध दिया। पारंपरिक नृत्य और आधुनिक धुनों पर ताल मिलाते कलाकारों को देखकर दर्शक झूम उठे। हर तरफ उत्साह का माहौल था और कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सभी इस सांस्कृतिक पर्व में शामिल होकर आनंदित हुए।
मनोज अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि गणेश उत्सव केवल पूजा-पाठ का अवसर नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता, भाईचारा और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। उन्होंने आयोजन समिति और ग्रामीणों को बधाई देते हुए कहा कि ऐसे आयोजन गांव की पहचान और नई पीढ़ी की प्रेरणा बनते हैं।
कुंजारा के बांधा पारा में आयोजित यह गणेशोत्सव इस बार विशेष इसलिए भी रहा क्योंकि इसमें गांव-गांव से आए श्रद्धालुओं ने भागीदारी की। मंच पर आकर्षक सजावट और रोशनी ने कार्यक्रम की भव्यता को और बढ़ा दिया। ग्रामीणों ने मनोज अग्रवाल का फूलमालाओं से स्वागत किया और उन्हें ‘अजेय योद्धा’ की उपाधि से सम्मानित करते हुए उनके जनसेवा भाव की सराहना की।
इस मौके पर सरपंच, पंच और अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी संबोधन दिया और एकजुटता का संदेश दिया। कार्यक्रम के अंत में सभी ने सामूहिक आरती कर प्रसाद वितरण किया।
कुंजारा का यह गणेशोत्सव न सिर्फ धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक रहा बल्कि गांव की एकता और उत्साह का भी जीवंत उदाहरण बन गया। लैलूंगा जनपद उपाध्यक्ष मनोज अग्रवाल की मौजूदगी ने इस कार्यक्रम की शोभा और बढ़ा दी। ग्रामीणों का कहना था कि यह आयोजन आने वाले वर्षों में और भी बड़े स्तर पर किया जाएगा।
गांव का संदेश साफ: गणपति बप्पा मोरया… अगले बरस तू जल्दी आ!






